कल

कल जब हम न होंगे, तो क्या होगा?
सुबह भी वही रहेगी,
शाम भी वही कहेगी,
रोज़ की ही तरह,
रात भी वहीं बहेगी,
हवायें वैसे ही चलेगी,
धूप उतनी ही जलेगी,
सफेद काले बादलों से,
चांदनी उतनी ही खिलेगी,
पर कहीं किसी पौधे मे,
कोई पत्ती खिलेगी शायद,
कहीं कोई चिड़िया,
नई उड़ान भरेगी शायद,
किसी चीन्टी को शायद,
एक नया दाना मिलेगा,
कहीं किसी को रोज़,
हमारी याद आयेगी शायद,
कल जब हम न होंगे, तो जाने क्या होगा।

Leave a comment