आशियाना

सारे सितम हम यूँही सह गए, मुस्कुराते रहे और आंसू बह गए, बनाते रहे सबकी उम्मीदों के मकान, मेरे सपनों के आशियाने एक एक करके ढह गए,…… Read more “आशियाना”