ख्वाबों के मुसाफिर

ख्वाबों के रस्ते पर जो चलना होगा,

तकदीर से अपनी तुझको लड़ना होगा,

सिर्फ रास्ता बदल लेना काफी नहीं,

हवाओं का रुख भी बदलना होगा,

कोयले कोे हीरा बनने की चाह में,

हर सुबह हर शाम जलना होगा,

कोई और साथ न देगा तेरा,

तुझे अपने आप में ही ढलना होगा,

चिराग लड़ता है जैसे हवाओं के झोंकों से

वैसे ही तुझको भी लड़ना होगा,

रो लिया बहुत अपने हालातो पर,

अब इनसे तुझे उबरना होगा,

बिगड़ लिया बहुत अब संवरना होगा,

ए ख्वाबों के मुसाफिर अब चलना होगा।

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