आहटों में मेरी तू समाया है अभी तक,
दिल के कोने में तुझको छुपाया है अभी तक,
यादें तेरी सर्दियों की रातें जैसी है,
मेरी छत पर सूरज नही आया है अभी तक,
हर तरफ बातें हो रही हैं उस जलसे की,
जिसमे हमको नहीं बुलाया है अभी तक,
एक बार जो पिया था इश्क़ मैखाने में,
नादान सा दिल मेरा संभल न पाया है अभी तक,
आदमी को आदमी बनाने का जब सवाल उठा,
किसी ने सर भी न हिलाया है अभी तक,
ये सफेदी मेरे बालो में न जाने कैसे आ गयी,
हमने तो दिल भी ठीक से नही तुड़वाया है अभी तक,
प्यार की शायरी बनी दर्द से ग़ज़ल बन गयी,
तेरा इश्क़ मेरे इतना काम आया है अभी तक।
Nice one
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Thanks
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